जगजीवन कॉलेज में राष्ट्रीय कला मंच और एबीवीपी का संयुक्त आयोजन
जगजीवन कॉलेज ने इस वर्ष सांस्कृतिक परंपरा और उत्सवधर्मिता को जीवंत करते हुए एक अद्वितीय आयोजन का साक्षी बना। राष्ट्रीय कला मंच और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के संयुक्त तत्वावधान में यहाँ भव्य निःशुल्क गरबा महोत्सव सह डांडिया का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में लोग उपस्थित रहे। यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक महोत्सव था, बल्कि देश की सांस्कृतिक एकता और विविधता को उजागर करने वाला एक सशक्त माध्यम भी बन गया।
गरबा और डांडिया: संस्कृति की धड़कन
गरबा और डांडिया भारत के पश्चिमी हिस्से, विशेषकर गुजरात की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं। नवरात्रि के अवसर पर यह नृत्य उत्सव विशेष रूप से मनाया जाता है, जिसमें देवी दुर्गा की आराधना की जाती है। इस महोत्सव का आयोजन न केवल मनोरंजन के उद्देश्य से किया गया, बल्कि यह हमारी प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखने और युवा पीढ़ी को इससे जोड़ने के लिए एक प्रेरणादायक पहल भी थी। आयोजन में भाग लेने वाले युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक, हर किसी ने गरबा की ताल पर झूमते हुए संस्कृति का उत्सव मनाया।
हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़
आयोजन में हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया, जो इस बात का प्रतीक है कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर कितनी सशक्त और जीवंत है। लोग पारंपरिक वेशभूषा में सज-धज कर आए और गरबा की हर ताल पर दिल खोलकर नाचे। डांडिया की छड़ी की खनक और गरबा की तालियों की गूंज ने पूरे वातावरण को आनंदमय बना दिया।
उत्सव की विशेषताएँ
इस महोत्सव की सबसे खास बात यह रही कि यह आयोजन पूरी तरह से निःशुल्क था। आयोजकों ने इस पहल के माध्यम से समाज के सभी वर्गों को साथ लाने का प्रयास किया, ताकि हर व्यक्ति अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ सके। आयोजन के दौरान सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की समुचित व्यवस्था की गई थी, जिससे उपस्थित लोगों को किसी भी तरह की असुविधा न हो।
सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
यह महोत्सव भारत की विविधता में एकता की भावना को बढ़ावा देने वाला साबित हुआ। हर आयु वर्ग के लोग, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति, या समाज के हों, इस उत्सव में सम्मिलित हुए और एक साथ मिलकर संस्कृति का उत्सव मनाया। यह आयोजन न केवल मनोरंजन का माध्यम था, बल्कि यह संदेश भी दिया कि संस्कृति और परंपरा को संजोने और आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हम सभी की है।
आयोजन का भविष्य और युवा पीढ़ी की भागीदारी
इस प्रकार के आयोजन यह सुनिश्चित करते हैं कि युवा पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े रहे। महोत्सव ने विद्यार्थियों को भी संस्कृति से जोड़ने का काम किया। एबीवीपी की इस पहल ने न केवल सांस्कृतिक जागरूकता फैलाई, बल्कि सामाजिक एकता और सौहार्द्र का भी संदेश दिया। आने वाले वर्षों में इस प्रकार के आयोजनों से युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से और भी अधिक जोड़ा जा सकेगा।
समाप्ति: भविष्य की ओर एक सकारात्मक दृष्टिकोण
यह गरबा महोत्सव न केवल एक आयोजन था, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना का प्रतीक भी था। राष्ट्रीय कला मंच और एबीवीपी ने मिलकर इस आयोजन को सफल बनाया, और इसमें शामिल होने वाले लोगों ने इसे एक अविस्मरणीय अनुभव के रूप में संजोया। ऐसे आयोजन आने वाले समय में हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सजीव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
इस आयोजन ने यह सिद्ध किया कि हमारी सांस्कृतिक परंपराएं हमारे समाज की धड़कन हैं, जिन्हें हम सभी को संजोकर रखना चाहिए। उम्मीद की जाती है कि आने वाले समय में ऐसे आयोजन और भी अधिक भव्य और विस्तारित रूप में सामने आएंगे, जो समाज को एक नई दिशा देंगे।
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